सच्चर कमेटी क्या है और इसका विरोध क्यों हो रहा है | Sachhar Committee Report In Hindi
Sachhar Committee Kya Hai |
हाल ही सच्चर कमेटी के सिफारिशों रोक लगाने की मांग की गई है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी गयी है। इस याचिका में बताया गया है कि इस कमेटी का गठन नियमों के बिल्कुल विपरीत हुआ। इसे बनाते समय किसी भी तरह के कानून का पालन नहीं किया गया है। याचिका में ये भी कहा गया है कि सच्चर कमेटी असंवैधानिक है।
लोगों को लग रहा है कि इससे केवल मुस्लिम समुदाय को ही फायदा पहुँच रहा है। लेकिन ये सच्चर कमेटी क्या है और इसको लेकर इतना विरोध क्यों हो रहा है इसकी पूरी जानकारी आइये जानते हैं।
सच्चर कमेटी का गठन कब किया गया था?
आपके जानकारी के लिए बता दें कि साल 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सरकार के द्वारा इस कमेटी का गठन किया गया था।
उस समय इस कमेटी को बनाते समय सरकार के द्वारा ये हवाला दिया गया था कि मुसलमानों के बेहतरी के लिए सच्चर कमेटी का गठन किया जा रहा है। इसके एक साल के बाद इस कमेटी ने 2006 में मुसलमानों के हालातों को जानने के लिए इसकी रिपोर्ट लोकसभा में दी थी।
सच्चर कमेटी का गठन क्यों किया गया था?
सच्चर कमेटी का गठन मुस्लिम समुदाय के सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक और पिछड़ेपन के बारे में जानने के लिए इस कमेटी का गठन किया गया था।
इस कमेटी में उस समय कुल 7 सदस्य बनाये गए थे। इस कमेटी के अध्यक्ष दिल्ली हाइकोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र सिंह सच्चर थे। इस कमेटी में शिक्षाविद, अर्थशास्त्री और सामाजिक कार्यकर्ता भी मौजूद था। सच्चर कमेटी रिपोर्ट पहली बार 30 नवम्बर 2006 को लोकसभा में पेश किया गया था।
भारत सरकार ने वर्ष 2005 में सच्चर समिति का गठन क्यों किया? Sachhar Committee Report In Hindi
सच्चर कमेटी का गठन मुसलमानों के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए किया गया था। इस गठन का विरोध क्यों हो रहा है आइये इसकी जानकारी प्राप्त करते हैं।
सच्चर कमेटी का विरोध करने का मुख्य कारण ये है कि इसमें किसी एक धर्म को सीधा लाभ पहुचाने की बात कही गई है। जबकि संविधान में कहा गया है कि किसी भी धर्म विशेष के लिए किसी भी तरह की कमेटी नहीं बनाई जा सकती है। सच्चर कमेटी का रिपोर्ट में क्या कहा गया था नीचे जरा गौर से पढ़िए। इसमें 8 मुख्य सुझाव दिए गए थे जो इस प्रकार है-
1. चौदह साल तक के मुस्लिम बच्चों को मुफ्त में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा उपलब्ध कराना, स्कॉलरशिप देना, मदरसों का आधुनिकीकरण करना और मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में इनके लिए अलग से सरकारी स्कूल खोलना इत्यादि।
2. अधिक मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्रों में बैंक खोलना और उनको ऋण की सुविधा आसानी से उपलब्ध कराना तथा मुस्लिम महिलाओं के लिए लघु उद्योग के लिए प्रोत्साहन करना।
3. किसी भी रोजगार में मुस्लिम लोगों का हिस्सा बढ़ाना और मदरसों को उच्च शिक्षा बोर्ड से जोड़ना इत्यादि।
4. अत्यधिक मुस्लिम समुदाय वाले क्षेत्रों में ITI और Polytechnic जैसे संस्थानों को खोलना ताकि उनका कौशल विकास हो सके।
5. मदरसों के द्वारा प्राप्त डिग्री को सरकारी सेवाओं में उतना ही मान्यता दिया जाए जितना कि स्कूल और कॉलेज की डिग्री की होती है।
6. विशेष रूप से विकास पर ध्यान देना- हर जगह पर मुसलमानों को बेहतर सरकारी स्कूल, स्वास्थ्य सुविधाएं और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने पर जोर देना।
7. अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में एससी के लिए आरक्षित नहीं किया जाए।
8. मुसलमानों के लिए इक्वल अपॉर्च्युनिटी कमीशन, नेशनल डेटा बैंक असेसमेंट और मॉनिटरी अथॉरिटी का गठन करना इत्यादि।
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सच्चर कमेटी का विरोध क्यों हो रहा है?
इस कमेटी को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में ये कहते हुए याचिका दायर की गई है कि किसी जाति धर्म के लिए किसी भी तरह का विशेष व्यवस्था नहीं होना चाहिए। इस देश मे जितने लोग हैं सभी एक समान है फिर किसी एक जाति के लिए अलग से कानून क्यों?
कमेटी का विरोध इसलिए हो रहा है क्योंकि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बिना कैबिनेट के मंजूरी के इसका गठन किया था। इसके अलावा इसका गठन करते समय राष्ट्रपति के द्वारा भी मान्यता नहीं ली गयी थी। इसलिए सच्चर कमेटी को रद्द करना चाहिए।
सच्चर कमेटी का गठन करते समय कहा गया था कि जो मुस्लिम समुदाय है उनका हालत दलितों से बदतर है। इसमें कहा गया था कि मुस्लिमों को दलित वर्ग घोषित नहीं किया जाना चाहिए।
इसका एक ही मकसद था कि मुसलमानों का वर्चस्व कायम रहे, क्योंकि एक बार दलित घोषित हो जाने पर मुस्लिम लोग कुछ भी नहीं कर पाएंगे। इसलिए सच्चर कमेटी का होना बहुत जरूरी है।
इस कमेटी के विवादों को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश के संसाधनों पर सबसे पहला हक मुस्लिमों का है। इसको लेकर काफी विवाद भी हुआ था। इस पर इतना विवाद छिड़ गया था कि संसद और राज्यसभा में कई दिनों तक लगातार हंगामे चलते रहे थे।
वर्तमान में इस कमेटी का विरोध करने पर कुछ लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जोड़कर देख रहे हैं।
सच्चर कमेटी क्यों विवादों में है?
सच्चर कमेटी के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में ये कहकर मुकदमा दायर किया गया है कि हिंदुओं का हक छीनकर किसी एक धर्म विशेष को कैसे दिया जा सकता है?
इस याचिका में दावा किया जा रहा है कि मुस्लिम समुदाय के पिछड़ेपन का जिम्मेदार खुद मुसलमान ही है, क्योंकि वे लोग अपने बच्चों को स्कूल में पढ़ाने के बजाय मदरसों में पढ़ाते हैं और बच्चा पैदा करने में उनकी कोई फैमिली प्लानिंग नहीं होती है।
इसलिए सच्चर कमेटी की कोई भी सिफारिशें लागू नहीं किया जा सकता है। इस मुकदमे के साथ ही एक नई बहस छिड़ गई है।
इस याचिका में कहा गया है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बिना कैबिनेट में चर्चा किये सच्चर कमेटी का गठन कर दिया। जबकि किसी पिछड़े और शोषित वर्ग के लिए आर्टिकल 340 के माध्यम से कोई भी कमेटी सिर्फ राष्ट्रपति ही बना सकते हैं। जबकि इस कमेटी को लागू करते समय इसका भी ध्यान नहीं रखा गया।
सुप्रीम कोर्ट में दर्ज याचिका में कहा गया है कि इस कमेटी का गठन में अनुच्छेद 77 का उल्लंघन किया गया है। इस याचिका के मुताबिक किसी विशेष धर्म के सुधार के लिए कोई भी कमेटी बनाई ही नहीं जा सकती है। इसमें ये भी कहा गया है कि अल्पसंख्यकों के लिए 22 फरवरी 1947 को ही कमेटी बना दी गयी थी।
इसके अलावा इसमें ये भी कहा गया है कि एससी-एसटी समुदाय की स्थिति किसी भी वर्ग से ज्यादा खराब है। इसलिए केवल मुस्लिम समुदाय को खास तौर पर छूट देना नियमों के खिलाफ है।
इस याचिका में यहाँ तक कहा गया है कि मुसलमानों ने भारत मे कई वर्षों तक शासन किया है और उस शासनकाल में खासतौर पर एससी और एसटी वर्ग के लोगों को अधिक शोषण किया गया था।
इस याचिका के मुताबिक अंग्रेजों के शासन के समय भी सत्ता में मुसलमानों की हिस्सेदारी थी, लेकिन एससी और एसटी के लोगों को उस समय भी उनका हिस्सा नहीं दिया गया।
याचिका में ये दलील दी गयी है कि भारत मे अल्पसंख्यकों की स्थिति बहुत बेहतर है। इसके अलावा फिल्म इंडस्ट्री हो या सरकारी सेवाओं में या फिर राजनीति में मुसलमान कई अहम पदों पर तैनात है। फिर किसी के धर्म के लिए इतनी छूट क्यों?
सच्चर कमेटी केवल राजनीतिक फायदे के लिए बनाया गया था जबकि ये कमेटी मुस्लिम समुदाय के कुरीतियों पर ध्यान ही नहीं दिया। मुसलमान न तो फैमिली प्लानिंग करते हैं और न वे स्कूल में पढ़ने जाते हैं। इसलिए आज वे जहाँ भी है इसके जिम्मेदार वे खुद है।
इसलिए इन सभी मुद्दों को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट सरकार को दिशा-निर्देश दे कि इस कमेटी को तत्काल रद्द किया जाए।
FAQ: सच्चर समिति से जुड़े सवाल
1. सच्चर समिति का संबंध किस संप्रदाय से है?
उत्तर: मुस्लिम समुदाय
2. सच्चर समिति के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर: जस्टिस राजिंदर सच्चर
3. सच्चर समिति का गठन कब किया गया था?
उत्तर: 2005
4. सच्चर समिति को लोकसभा में पेश कब किया गया था?
उत्तर: 30 नवम्बर 2006
5. भारत सरकार ने वर्ष 2005 में सच्चर समिति का गठन क्यों किया?
उत्तर: मुस्लिम समुदाय की स्थिति को बेहतर करने के लिए।
आपको क्या लगता है कि सच्चर कमेटी गलत है या सही है। क्या इसे रद्द कर देना चाहिए क्योंकि इससे किसी विशेष धर्म को ही फायदा पहुँच रहा है और अन्य समाज के साथ नाइंसाफी हो रहा है? अपना सुझाव कमेंट करके जरूर दीजिये।
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