मुल्ला अब्दुल गनी बरादर की जीवनी | Mullah Abdul Ghani Baradar Biography Wikipedia, Family In Hindi
आजकल पूरी दुनिया में अगर कोई नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है तो वो तालिबान है। ऐसा तालिबान जिसने दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका को भी घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।
ऐसा तालिबान जिसने पूरी दुनिया में खलबली मचा कर रख दिया है। तालिबान के आने के बाद मानो पूरी दुनिया में अशांति का माहौल फैल गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन सबके पीछे का मास्टरमाइंड कौन है?
किसके शातिर दिमाग ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है? अगर नहीं जानते हैं तो आपको बता दें कि इन सबके पीछे वर्तमान में तालिबान का शीर्ष कमांडर मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का हाथ है।
पर क्या आपको पता है कि मुल्ला अब्दुल गनी बरादर कौन है, इसका इतिहास क्या है? अगर नहीं जानते हैं तो कोई बात नहीं इस article को पूरा जरूर पढ़ियेगा, क्योंकि यहाँ आपको मुल्ला बरादर से जुड़ी कुछ ऐसी जानकारी प्राप्त होगी जिससे आजतक पूरी दुनिया अनजान थी।
जब से अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा जमाया है, तब से पूरी दुनिया का नजर ये जानने पर है कि आखिर इसका प्रधानमंत्री कौन होगा, कौन इस देश के बागडोर को सम्भालेगा, क्या वो अपने लोगों को समान नजरों से देख पायेगा?
ऐसे ही सारे सवालों का जवाब आज आपको मिलने वाली है। हम आपको बताएंगे कि अफगानिस्तान का राष्ट्रपति कौन होगा, तालिबान में वो कौन सा नेता है और उसकी तालिबानी लोगों में क्या हैसियत है?
मुल्ला बरादर कौन है, इसने कैसे तालिबान को इतना शक्तिशाली बना दिया कि अमेरिका जैसा देश पीछे हट गया? करीब 20 साल तक पूरी दुनिया के नजरों से दूर रहकर तालिबान को इतना मजबूत बनाने वाला मुल्ला अब्दुल गनी बरादर कौन है, आइये विस्तार से जानते हैं।
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर कौन है? Who Is Mullah Baradar In Hindi
अब्दुल गनी बरादर तालिबान का दूसरा सबसे बड़ा नेता हैं। ये तालिबान के सह-संस्थापक भी है और इसका दूसरा सबसे बड़ा कमांडर भी है।
भले ही वो इस समय तालिबान का सबसे बड़ा लीडर नहीं है, लेकिन बरादर का तालिबान में कितना बड़ा कद है आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि ये अफगानिस्तान के अगले राष्ट्रपति का अकेला उम्मीदवार है। तालिबान ने खुद ही इसे राष्ट्रपति घोषित कर दिया है।
ये तय है कि आने वाले समय में बरादर ही अफगानिस्तान के अगला राष्ट्रपति होने वाला है। बरादर की गिनती उन 4 लोगों में से होती है, जो 1994 में अफगानिस्तान में तालिबानी आंदोलन की शुरुआत की थी।
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद सत्ता का कमान बरादर के ही हाथों में रहने वाली है। अफगानिस्तान में तालिबानी कब्जे के बाद बरादर ने साफ-साफ कह दिया है कि वो शांति चाहता है और इसके बीच में जो भी रुकावटे हैं उसको जल्द-से-जल्द दूर किया जाना चाहिए।
लेकिन इन बातों को धरातल पर कितनी मजबूती से अमल कर पाता है ये आने वाले समय में पता चल ही जायेगा।
आपको बता दें कि बरादर आज से 20 साल पहले अफगानिस्तान में सत्ता पर काबिज तालिबानी प्रमुख मुल्ला उमर का बहनोई लगता है। इसके बारे में कहा जाता है कि ये बचपन से ही धार्मिक कट्टर है।
आपको बता दें कि इस समय तालिबान के शासन का राष्ट्रपति उम्मीदवार कोई और नहीं बल्कि उसके दूसरे नम्बर के चीफ कमांडर मुल्ला अब्दुल गनी बरादर है।
आपको बता दें कि तालिबान के इस तरह बढ़ते पांव से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह भी चिंता जाहिर कर चुके हैं।
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का जीवन परिचय | Mullah Abdul Ghani Baradar Wikipedia In Hindi
Mulla Baradar Biography In Hindi |
पूरा नाम: मुल्ला अब्दुल गनी बरादर
निकनेम: बरादर
जन्म/Date Of Birth: 1968
जन्मस्थान/Birthplace: वीटमार्क, उरूज़गान प्रान्त अफ़ग़ानिस्तान
उम्र/Age: 53 वर्ष
हाइट/Height: 173 सेमी.
आंख का रंग: काला
वैवाहिक जीवन:विवाहित
वाइफ नाम: N/A
प्रोफेशन: तालिबानी कमांडर
शिक्षा/Education: N/A
नेट वर्थ/Net Worth: $3 मिलियन से $5 मिलियन डॉलर
चर्चा का कारण: तालिबान का सह-संस्थापक और अफगानिस्तान के होने वाला राष्ट्रपति
राष्ट्रीयता: अफगानिस्तान
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का इतिहास | History Of Mullah Baradar In Hindi
कहा जाता है कि 80 के दशक में जब रूस ने अफगानिस्तान पर हमला किया तो मुल्ला बरादर आतंकवादी संगठन मुजाहिद्दीन में शामिल हो गया। रूसी हमले के बीच अमेरिका से मुजाहिद्दीन को पूरा समर्थन मिला। अमेरिका ने हर तरह के हथियार उन आतंकवादी संगठनों को दिए।
जिसके बाद आखिरकार रूस को 1989 में अफगानिस्तान छोड़कर वापस जाना पड़ा। जिसके बाद अफगानिस्तान के ही दो गुटों के बीच कब्जे को लेकर घमासान होना शुरू हो गया।
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इसी बीच अफगानिस्तान के धरती पर एक नया नाम उभरकर सामने आया जिसका नाम था मुल्ला मोहम्मद उमर। मुल्ला उमर उस समय कंधार के एक मदरसे में पढ़ाता था। इसी बीच उसकी मुलाकात अब्दुल गनी बरादर से हुई। देखते ही देखते बरादर मुल्ला उमर का खास आदमी बन गया।
फिर इसके बाद इन दोनों ने वहाँ की सेना के साथ मिलकर चढ़ाई शुरू कर दी और कुछ ही दिनों में पूरे अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा हो गया।
समय बीतने के साथ बरादर मुल्ला उमर का सबसे खास कमांडर बन गया। तालिबानी शासन में बरादर 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान के उपरक्षामंत्री के पद पर तैनात रहा।
9/11 हमले के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला किया और वहाँ का शासन अपने हाथों में ले लिया। जिसके बाद वहां पर तालिबान का कब्जा खत्म हो गया।
कहा जाता है कि जब अमेरिका ने कंधार पर बम गिराना शुरू किया तो बरादर ही मुल्ला उमर को मोटरसाइकिल पर सुरक्षित बाहर निकाला था। इसी बीच बरादर को अफगानिस्तान के सैनिकों ने पकड़ लिया लेकिन आईएसआई के मदद से छूट गया।
एक लेख के मुताबिक 2001 में मुल्ला बरादर ने हामिद करजई की जान बचाई। जिसके बाद करजई ने बरादर को वापस शासन में आने के बाद तालिबान को बराबर का भागीदार बनाने का आश्वासन दिया।
लेकिन इसी बीच अमेरिका ने बरादर के घर पर हमला कर दिया जिससे मुल्ला बरादर अपनी जान बचाने के लिए पाकिस्तान भाग गया। मुल्ला उमर के अंडरग्राउंड हो जाने के बाद तालिबान की सारी जिम्मेदारी बरादर के हाथ में आ गयी।
बरादर को हमेशा अपनी जान का खतरा लगा रहता था इसलिए वो कहीं भी एक जगह पर दो दिन नहीं ठहरता था। वो तालिबान को पाकिस्तान से ही संभालता था।
मुल्ला बरादर का काम करने का तरीका
रिपोर्ट की मानें तो बरादर के काम करने का तरीका बिल्कुल पुराने जमाने का था। वो तालिबान के हर एक सदस्यों से मिलता था, चाहे वो छोटा हो या बड़ा। जब भी वो आम आदमी से मिलता था तो सबको आदर से बात करता था।
अपनी हर एक मीटिंग में हर एक फ़ाइल को बेहद ध्यान से देखता था। इसके अलावा तालिबान के हर अगले कदम का निर्णय वहीं करता था।
NATO के खुफिया जानकारी के मुताबिक 2020 में तालिबान का कुल बजट 1.6 बिलियन डॉलर का बनाने में बरादर का सबसे बड़ा योगदान है।
मुल्ला उमर के अंडरग्राउंड हो जाने के बाद अमेरिका को लगने लगा था कि तालिबान अब कमजोर पड़ जायेगा। लेकिन बरादर के कमान संभालते ही तालिबान और मजबूती से आगे बढ़ा। उसके कमान संभालते ही अमेरिकी सेना की और अधिक मौत होने लगी।
बरादर ने अमेरिकी सेना से लड़ने के लिए खास तरह की रणनीति बनाई। वो जानता था कि अमेरिकी सेना को हराया नहीं जा सकता है। इसलिए उसने छिप कर लड़ाई करने की रणनीति बनाई। उसने अपने लड़ाकों को निर्देश दिए कि लड़ाई में बस एक बात का ध्यान रहे कि तालिबान के कम से कम नुकसान हो अमेरिकी सेना का ज्यादा।
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने कैसे अफगानिस्तान पर कब्जा किया?
2008 में बराक ओबामा जब अमेरिका के राष्ट्रपति बनें तो वो आतंक के खिलाफ कुछ अलग करना चाहते थे। वे पाकिस्तान को दोहरी नीति से ऊपर उठकर आतंकवाद के खिलाफ कुछ ठोस कदम उठाने पर जोर दे रहे थे।
अमेरिका पाकिस्तान को आतंकवादियों के खिलाफ खुलकर लड़ने के लिए जोर दे रहा था। इसका नतीजा हुआ कि पाकिस्तान में ही मुल्ला बरादर को पकड़ लिया गया।
बरादर को पकड़वाने में पाकिस्तान इसलिए अमेरिका का साथ दिया क्योंकि उस समय अफगानिस्तान तालिबान में शांति वार्ता चल रही थी, जो पाकिस्तान बिल्कुल भी नहीं चाह रहा था। कारण ये था कि अगर अफगानिस्तान और तालिबान के बीच समझौता हो जाता तो पाकिस्तान का कोई महत्व नहीं रह जाता।
आपको बता दें कि बरादर के गिरफ्तार होने से तत्कालीन राष्ट्रपति हामिद करजई बिल्कुल भी खुश नहीं थे। बरादर को पाकिस्तान में ही कैद कर लिया गया। लेकिन 2018 आते-आते अमेरिका समझ चुका था कि उसे कभी न कभी अफगानिस्तान से वापस लौटना होगा।
ऐसे में सबसे जरूरी था कि तालिबान से समझौता किया जाए, लेकिन तालिबान के तरफ से ऐसा कोई भी नेता नहीं था जो अमेरिकी समझौते का दावा कर सके।
कहा जाता है कि अमेरिका को बरादर की रिहाई करना मजबूरी बन गया था, क्योंकि अमेरिका को अफगानिस्तान से अपनी सेना को निकालना था।
ऐसे में अमेरिका हारकर मुल्ला बरादर को जेल से बाहर निकालने का फैसला किया। 25 अक्टूबर 2018 को अमेरिका पाकिस्तान से बात करके बरादर को जेल से छुड़वाया।
इसके बाद अमेरिका और तालिबान के बीच समझौते को लेकर 9 बार बात हुई। कभी बात बनती थी तो कभी नहीं बनती थी। इसी बीच 2019 में खबर आई कि समझौते को लेकर आपसी सहमति बन गयी है, लेकिन दिसंबर 2019 में अफगानिस्तान में हुए कार धमाके में एक अमेरिकी फौजी की मौत हो जाने के बाद तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ये समझौता रद्द कर दिया।
इसी बीच अमेरिका में चुनाव को लेकर ट्रंप के सामने काफी चुनौती थी। पूरे चुनाव अभियान के दौरान प्रतिद्वंदी बाइडेन ने ट्रंप को सैनिकों की वापसी को लेकर काफी घेरा।
काफी दबाव को लेकर ट्रंप दोबारा तालिबान से वार्ता के लिए तैयार हो गए। आखिरकार मुल्ला बरादर ने दोहा में हुए समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस सहमति के बाद अमेरिका और तालिबान लड़ाई को बंद करने को लेकर राजी हो गए।
इस समझौते में तालिबान के सामने कुछ शर्तें रखी गयी थी। इस समझौते में तय हुआ कि अमेरिका अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुला लेगा और तब तक तालिबान अमेरिकी सेना पर हमला नहीं करेगा। लेकिन जनवरी 2021 में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप के हार के बाद जो बाइडेन ने बिना किसी शर्त के अफगानिस्तान से निकलने का एलान कर दिया।
अमेरिका को इस तरह देख तालिबान पूरी तेजी से आगे बढ़ा और एक-एक करके कुछ ही दिनों में अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया।
अफगानिस्तान पर विजय हासिल करने के बाद मुल्ला बरादर को राष्ट्रपति पद का सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा है।
मुल्ला बरादर के तालिबान में अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति
तालिबान तय हुए समझौते को ताक पर रखते हुए अफगानिस्तान में अपना कब्जा जमाना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं तालिबान वहाँ के लोगों पर जमकर अत्याचार करना शुरू कर दिया।
अब वहाँ पर हालत ये है कि लोग अफगानिस्तान में रहना नहीं चाहते। इन सबका जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि शातिर दिमाग वाला मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ही है। अमेरिकी सेना के लौट जाने के बाद अब बरादर का राष्ट्रपति बनना तय माना जा रहा है।
लेकिन आने वाले समय में बरादर का रास्ता इतना भी आसान नहीं होने वाला है, क्योंकि दुनिया के कई बड़े देशों ने तालिबान को मान्यता देने से साफ कर चुके हैं।
ऐसे मुल्ला बरादर अफगानिस्तान को कैसे इस संकट से उबारता है या फिर वहाँ के लोगों पर और कोई संकट उत्पन्न करता है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
हमें पूरी उम्मीद है कि आपको मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का जीवन परिचय काफी पसंद आई होगी। अगर आपको मुल्ला बरादर का इतिहास जानकर अच्छा लगा हो तो इसके सच को शेयर करके पूरी दुनिया के सामने लाये।
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